भारत में साल 2008 में आईपीएल आया और इसी के साथ इसे आकर्षक बनाने के लिए क्रिकेट में पहली बार चीयरलीडर्स को भी लाया गया. माना जाता है चीयरलीडर्स हॉट हैं और अपनी अदाओं से लोगों का मन मोह लेती है. हालांकि उनके कपड़े अब भी छोटे होते जा रहे हैं. कहा जाता है इन्होने दर्शको को लुभाया जो आईपीएल की बढ़ती लोकप्रियता का एक कारण रहा.
हर आईपीएल टीम के पास चीयरलीडर्स होती है जो टीम का उत्साह बढाती है. चीयरलीडर्स खिलाड़ियों के चौका, छक्का मारने पर और इसके साथ ही विकेट लेने पर भी टीम के थीम सॉंग पर डांस के मूव्स दिखा कर खिलाड़ियों का प्रोत्साहन करती है. आईपीएल के इस सीजन में भी चीयरलीडर्स का जलवा जारी है.

भारत में आईपीएल के पहले संस्करण से ही पहली बार क्रिकेट जगत में चीयरलीडर्स का आगमन हुआ. चीयरलीडर्स छोटे- छोटे कपड़ो में आकर्षक डांस मूव्स करती है. इसी के चलते पहले सीजन के साथ ही भारत में चीयरलीडर्स का बहुत विरोध किया गया.

विरोध को देखते हुए कुछ टीमों ने अपने चीयरलीडर्स को अपने राज्य के पारंपरिक वेश में पेश किया और उनके डांस को भी स्थनीय डांस में बदल दिया गया. लेकिन ये फ़ॉर्मूला अधिक दिनों तक नहीं चला और फिर से चीयरलीडर्स छोटे और आकर्षक कपड़ो के साथ टीम के थीम सॉंग पर ही डांस करने लगी.
Image Source: Googleआईपीएल का 6वां सीजन आया जो अपने साथ फिक्सिंग का बड़ा विवाद लेकर आया. फिक्स्सिंग ने आईपीएल में हायतौबा मचा थी. इसके बाद क्रिकेटरों की रात की पार्टी पर सवाल उठाने लगे. इसी विवाद के बाद बीसीसीआई के तत्कालीन अध्यक्ष एन. श्रीनिवासन की जगह जगमोहन डालमिया को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया.

तब डालमिया ने चीयरलीडर्स और आईपीएल में देर रात की पार्टियों पर पाबंदी लगा दी. लेकिन अगले ही आईपीएल सीजन में ये पाबंदियां ठंडी पद गई और एक बार फिर से चीयरलीडर्स आईपीएल से जुड़ गई. आईपीएल में जो चीयरलीडर्स आती है उन्हें आमतौर पर अमेरिका, नार्वे, साऊथ अफ्रीका, बेल्जियम, रूस, यूक्रेन से लाया जाता हैं.

इन्हें चीयरलीडिंग इंस्टीट्यूट में इसके गुर भी सीखये जाते हैं. चीयरलीडर्स मैदान के साथ साथ आईपीएल की पार्टी का हिस्सा भी बनने लगी हालाकि इसके लिए उन्हें अलग से पैसे दिए जाते हैं. चीयरलीडर्स को सिर्फ़ एक मैच का ही 6000 से 10000 तक दिया जाता है जबकि आईपीएल पार्टी का पैसा इनको अलग से मिलता है.

चीयरलीडर्स का खेलों में इतिहास की बात करें तो यह 1970 में ही आ गई थी. अमेरिका फुटबॉल लीग में पहली बार चीयरलीडर्स का उपयोग हुआ. शुरुआत में आलोचना हुई लेकिन दर्शकों की भीड़ स्टेडियम में बढ़ी फिर एक क्रेज शुरू हुआ. बाद में चीयरलीडर्स को बास्केटबॉल, बेसबॉल, आइस हॉकी, कुश्ती, बॉक्सिंग और क्रिकेट में भी लाया गया.